Monday, February 29, 2016

मंथरा :- रामायण की विलेन








अगर कैकेयी की दासी मंथरा, कैकेयी के कान ना भरती, उसे राम के राज्याभिषेक के विरुद्ध ना करती तो ना तो राम को वनवास के लिए जाना पड़ता और ना ही उनके जीवन में वो कष्ट आते, जो उन्होंने भोगे थे।

दशरथ का देहांत, रावण द्वारा सीता का हरण, सीता की अग्नि परीक्षा और फिर राम और सीता का अलगाव, रामायण की कहानी के ये कुछ ऐसे घटनाक्रम रहे जिनके कारण स्वयं विष्णुअवतार राम को ही अपने जीवन में दुःख झेलने पड़े।

वैसे तो ये सब प्रभु की लीला ही होगी लेकिन कहीं ना कहीं इन सभी घटनाओं का कारण मंथरा ही तो थी। कुरूप सी दिखने वाली, कुबड़ी मंथरा, जिसे कैकेयी अपने साथ लेकर आई थी, ने हमेशा कैकेयी को प्रभु राम के विरुद्ध करने का ही प्रयास किया।

वह अपने प्रयासों में सफल भी हो गई और अंतत: भगवान राम को राजमहल छोड़, अपनी पत्नी सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए जाना पड़ा।

रामायण से जुड़े पौराणिक किस्सों और कथाओं में कुबड़ी को बेहद कुरूप स्त्री के रूप में प्रदर्शित किया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कभी मंथरा ना सिर्फ बेहद सुंदर स्त्री थी बल्कि बिल्कुल सामान्य चाल-ढाल भी रखती थी।

परंतु एक बार मंथरा ने किसी ऐसी चीज का सेवन कर लिया था, जिसके चलते उसकी कमर झुक गई और उसका सुंदर रूप खो गया, वह बेहद कुरूप हो गई। 

आइए जानते हैं ऐसा क्या हुआ था रामायण की विलेन रही मंथरा के साथ, जिससे उसकी नियति ही बदल गई।

हिन्दू पुराणों के अनुसार कैकेय के राजा अश्वपति का एक भाई था वृहदश्व। वृहदश्व की पुत्री रेखा बहुत सुंदर और बड़े-बड़े नयनों वाली थी। कैकेयी और रेखा अच्छी सहेलियां थी, एक के बिना दूसरे का समय नहीं बीतता था।

रेखा खूबसूरत होने के साथ-साथ काफी बुद्धिमान भी थी। लेकिन एक दिन उसे एक गंभीर बीमारी ने अपनी जकड़ में ले लिया।


इस बीमारी में उसे भयंकर प्यास लगती और अत्याधिक पसीना आता था। अपनी पुत्री की हालत देखकर वृहदश्व बहुत परेशान रहता था।

एक दिन रेखा प्यास से अत्यंत व्याकुल थी, इसी के चलते उसने तुलसी, चंदन और मिश्री से बना शर्बत पी लिया।

यह शर्बत पी लेने के बाद रेखा त्रिदोष से पीड़ित हो गई और उसके विभिन्न अंगों ने कार्य करना तक बंद कर दिया।

पहले सभी को लगा कि वह अब ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है, अब जल्द ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।

लेकिन समय पर उपचार करवा लेने की वजह से उसकी मृत्यु तो नहीं हुई, लेकिन उसका सुंदर रूप बिगड़ गया। उसके शरीर के अंग तो काम करने लगे लेकिन उसकी पीठ हमेशा के लिए टेढ़ी हो गई। उसके कंधे और गर्दन भी झुक गए।

इस बीमारी की चपेट में आने के बाद रेखा का नाम कुबड़ी मंथरा पड़ गया। अपने कुरूप व्यक्तित्व के कारण वह आजीवन कुंवारी रही।

वह कैकेयी के बहुत नजदीक थी, इसलिए जब कैकेयी का विवाह हुआ तब वह अपने पिता की अनुमति प्राप्त कर कैकेयी के ससुराल यानि अयोध्या आ गई।

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